
राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर अनुमंडल क्षेत्र के किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अब उन्हें अपने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ नहीं जाना पड़ेगा। राजगीर में ही एक आधुनिक मिट्टी जांच प्रयोगशाला तैयार हो चुकी है। यहां किसान आसानी से मिट्टी की जांच करा सकेंगे और उन्हें मृदा हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाएगा।
राजगीर ई-किसान भवन में स्थापित इस प्रयोगशाला के निर्माण पर लगभग 75 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसकी सालाना जांच क्षमता करीब 11000 सैंपल तय की गई है। यहां पर किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता, पोषक तत्वों की उपलब्धता और सुधार के सुझाव से संबंधित पूरी रिपोर्ट दी जाएगी।
हालांकि, इस प्रयोगशाला के उद्घाटन के लिए पहले भी कई बार तारीखें तय की गई थीं। लेकिन किसी न किसी कारणवश उद्घाटन टलता रहा। अब नई सूचना के अनुसार 17 फरवरी को कृषि मंत्री वर्चुअल माध्यम से इस प्रयोगशाला का शुभारंभ करेंगे। इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
प्रयोगशाला के सुचारू संचालन के लिए कुल आठ कर्मियों की आवश्यकता है, जिनमें चार एनालिस्ट, दो प्रयोगशाला सहायक और दो परिचारी शामिल होंगे। एनालिस्ट मिट्टी की जांच करेंगे। सहायक इस कार्य में सहयोग देंगे और परिचारी मिट्टी पीसने व सुरक्षित रखने का कार्य संभालेंगे। फिलहाल यहां सिर्फ दो कर्मियों की ही तैनाती हुई है। जिनमें एक सहायक तकनीकी प्रबंधक और एक प्रखंड तकनीकी सहायक शामिल हैं।
इस नई सुविधा से राजगीर अनुमंडल क्षेत्र के बेन, कतरीसराय, राजगीर, सिलाव, छबिलापुर, गिरीयक और गिरियक जैसे प्रखंडों के मेहनती किसानों को अपनी मिट्टी की जांच कराने में न केवल आसानी होगी। बल्कि वे अपनी फसलों की उत्पादकता भी बढ़ा सकेंगे।
बता दें कि मिट्टी में कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते हैं। इन तत्वों में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम और क्लोरीन जैसे तत्व शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार फसल की बुवाई या रोपाई से एक महीने पहले मिट्टी की जांच करानी चाहिए। यदि कोई किसान सघन पद्धति से खेती करता है तो उसे हर साल मिट्टी जांच करवानी चाहिए। जबकि साल में केवल एक फसल लेने वाले किसानों को हर दो से तीन साल में जांच करानी चाहिए।
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