“आयुष्मान भारत योजना गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है, लेकिन नालंदा जिले में इसके प्रति जागरूकता की कमी और अस्पतालों की प्रक्रियागत समस्याओं के कारण कम ही लोग इस योजना का लाभ उठा पा रहे हैं…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार हर साल प्रत्येक पात्र परिवार को 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान कर रही है। लेकिन नालंदा जिले में इस योजना का लाभ उठाने वालों की संख्या बेहद कम है। आंकड़ों के अनुसार अब तक केवल 3 प्रतिशत लाभुक ही इस योजना के तहत इलाज करा पाए हैं।
पिछले सात वर्षों में इस योजना से 2627000 लोग जुड़े हैं। लेकिन मात्र 6916 लोगों ने ही इस सुविधा का उपयोग किया है। इनमें से 21578 लोगों ने जिला से बाहर और 40338 मरीजों ने जिले के अस्पतालों में इलाज कराया है। सबसे अधिक लोग निजी अस्पतालों में इलाज के लिए गए हैं।
यहां योजना का लाभ कम लोगों द्वारा उठाने के पीछे कई कारण हैं। पहले केवल बीपीएल परिवारों को इस योजना का लाभ दिया जाता था। लेकिन अब इसमें राशन कार्ड धारकों, आशा कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों को भी शामिल किया गया है। इससे लाभार्थियों की संख्या बढ़ी है। लेकिन अभी भी पूरी तरह जागरूकता का अभाव बना हुआ है।
इस योजना का लाभ केवल इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) में भर्ती मरीजों को ही मिलता है। इसका मतलब यह है कि ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीज इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। अधिकारियों का मानना है कि अगले दो वर्षों में इस योजना के लाभार्थियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी।
यहां अस्पताल स्तर पर भी कुछ समस्याएं हैं। इस योजना के तहत भर्ती मरीजों को फीस से लेकर जांच कराने तक का पूरा खर्च योजना में शामिल होता है। हालांकि नियमानुसार अस्पताल को जांच का खर्च तीन दिन के भीतर जमा करना होता है। लेकिन कई बार अस्पताल द्वारा जांच कराने के एक सप्ताह बाद ऑपरेशन की तिथि निर्धारित की जाती है।
यदि किसी मरीज को ऑपरेशन कराना है तो उसे ऑपरेशन की तिथि से तीन दिन पहले ही अपनी जांच पूरी करा लेनी चाहिए। इससे योजना के तहत पूरी लागत सरकार वहन कर सकेगी और मरीजों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाया जा सकेगा।
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