
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में स्थित कुंडलपुर दिगंबर जैन मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। अपनी भव्यता, अद्भुत स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के कारण यह मंदिर न केवल जैन समाज बल्कि अन्य धर्मों के श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। नालंदा और राजगीर के समीप स्थित यह तीर्थस्थल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और इतिहास प्रेमियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
कुंडलपुर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष स्थान रखता है क्योंकि इसे भगवान महावीर की जन्मस्थली माना जाता है। यही कारण है कि यह स्थल जैन धर्मावलंबियों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में प्रतिष्ठित है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने आते हैं और आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
यह मंदिर प्राचीन काल में निर्मित हुआ था और इसे जैन धर्म के महान संतों एवं तीर्थंकरों की स्मृति में स्थापित किया गया था। इतिहासकारों के अनुसार यह स्थल महावीर स्वामी के जीवन से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है।
मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है। नक्काशीदार मूर्तियाँ, भव्य शिखर और उत्कृष्ट स्थापत्य कला इसे अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाते हैं। मंदिर परिसर में तीर्थंकरों की सुंदर दर्शनीय प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा है। यहाँ आगंतुकों के लिए भोजनालय, पुस्तकालय, ध्यान केंद्र, विश्राम स्थल और धर्मशाला जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु ध्यान और साधना कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
मंदिर में नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, पूजन और अभिषेक का आयोजन किया जाता है। यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। विशेष रूप से महावीर जयंती और क्षमावाणी पर्व पर यहाँ भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहते हैं।
कैसे पहुँचे कुंडलपुर? कुंडलपुर पहुंचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन नालंदा, पटना और गया है। निकटतम हवाई अड्डा पटना है। वहीं यह स्थल नालंदा और राजगीर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। जहाँ से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि इसकी दिव्य ऊर्जा और सकारात्मक वातावरण श्रद्धालुओं को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है। भक्तगण यहाँ आकर ध्यान, साधना और पूजा-अर्चना के माध्यम से अपने जीवन को और अधिक आध्यात्मिक बनाते हैं। क्योंकि यह मंदिर इतिहास, धर्म और स्थापत्य कला का एक अनुपम संगम है। यह स्थल न केवल जैन धर्म के अनुयायियों बल्कि सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।
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