
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ शहर ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से परिपूर्ण भारत के समृद्ध अतीत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह शहर न केवल अपनी प्राचीन विरासत के लिए जाना जाता है। बल्कि हिंदू, बौद्ध और इस्लाम धर्म की साझा संस्कृति का एक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
10वीं शताब्दी में पाल वंश की राजधानी रह चुका बिहारशरीफ कभी शिक्षा और बौद्ध संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ स्थित ओदंतपुरी महाविहार एक प्रसिद्ध बौद्ध शिक्षा केंद्र था। जोकि नालंदा विश्वविद्यालय की तरह विद्वानों और छात्रों के लिए ज्ञान का स्रोत था।
14वीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली सल्तनत ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और बाद में यह विभिन्न मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1869 में बिहारशरीफ को नगरपालिका का दर्जा दिया गया और यह एक प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र बन गया।
बिहारशरीफ में विभिन्न धर्मों से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो इसे धार्मिक सहिष्णुता और विविधता का प्रतीक बनाते हैं।
बौद्ध धर्म के अवशेष: ओदंतपुरी महाविहार पाल साम्राज्य के समय का एक महान बौद्ध शिक्षा केंद्र था। जो अब खंडहरों में तब्दील हो चुका है। लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व आज भी बरकरार है। वहीं वज्र विद्या फुलाहारी बौद्ध मंदिर बौद्ध शिक्षा और ध्यान का एक प्रमुख केंद्र है। जहाँ पर्यटक और श्रद्धालु शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं।
इस्लाम धर्म के प्रमुख स्थल: 14वीं शताब्दी के प्रसिद्ध सूफी योद्धा सैयद इब्राहीम बया मकबरा हिरण्य पर्वत (पीर पहाड़ी) पर स्थित है। वहीं छोटी दरगाह और बड़ी दरगाह बिहारशरीफ के सूफी स्थलों में प्रमुख हैं। जहाँ हजारों श्रद्धालु हर साल उर्स मेले में भाग लेते हैं।
हिंदू धर्म के प्रमुख स्थल: मणिराम का अखाड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ भक्त बाबा मणिराम की पूजा करते हैं और मान्यता है कि यहाँ श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं मोरा तालाब का निर्माण मौर्यकाल में हुआ था और यह सूर्य मंदिर के पास स्थित है। जहाँ छठ पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और प्रमुख दर्शनीय स्थलः बिहारशरीफ केवल ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को आकर्षित करता है। हिरण्य पर्वत को पीर पहाड़ी भी कहा जाता है और यह बिहारशरीफ का एक प्रमुख स्थल है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों की याद में बना कारगिल पार्क एक देशभक्ति का प्रतीक है। हरियाली और मनोरंजन के लिए प्रसिद्ध सुभाष पार्क स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
संस्कृति, त्योहार और खानपानः बिहारशरीफ की संस्कृति बेहद समृद्ध है। यहाँ छठ पूजा, दुर्गा पूजा, ईद और दिवाली जैसे त्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। इसके अलावा बिहारशरीफ का पारंपरिक भोजन भी बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रमुख व्यंजन लिट्टी-चोखा, झाल-मुरी और मालपुआ हैं। जो हर आगंतुक के स्वाद को विशेष बना देते हैं।
इस तरह बिहारशरीफ केवल एक ऐतिहासिक शहर ही नहीं, बल्कि यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम है। यहाँ की ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक स्थलों की विविधता, प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध लोक संस्कृति इसे पर्यटन और आध्यात्मिकता के लिए एक अनूठा स्थल बनाती है। यदि आप इतिहास, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव करना चाहते हैं तो बिहारशरीफ नगर की सैर आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।
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