राजगीर में पर्यटन के मानकों के अनुरूप सफाई व्यवस्था का घोर अभाव

राजगीर (नालंदा दर्पण)। पर्यटक नगरी राजगीर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों के लिए मशहूर है। लेकिन नगर परिषद क्षेत्र की सफाई व्यवस्था इस पहचान को धूमिल कर रही है। पूरे शहर में जगह-जगह फैली गंदगी और सड़कों के किनारे पड़े कूड़े के ढेर नगर परिषद की लापरवाही को उजागर कर रहे हैं।

राजगीर नगर परिषद में सफाई व्यवस्था की हालत इतनी खराब है कि नगर के प्रमुख चौक-चौराहों पर कूड़ेदान तक उपलब्ध नहीं हैं। जहां कहीं कूड़ेदान हैं भी, वे जर्जर अवस्था में पड़े हैं और कचरा सड़कों पर बिखरा रहता है। नगरवासियों और पर्यटकों को बदबू और गंदगी से रोजाना दो-चार होना पड़ रहा है। लेकिन नगर प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।

नगर परिषद चुनाव के दौरान शहरवासियों से बड़े-बड़े वादे किए गए थे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे केवल खोखले साबित हो रहे हैं। शहरवासियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि राजगीर को एक स्वच्छ और आधुनिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छ राजगीर की बात तो कही जाती है। लेकिन जमीनी स्तर पर यह महज एक नारा बनकर रह गया है।

शहर में फैली गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे मलेरिया, डेंगू और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम होते ही घरों के आसपास मच्छरों का जमावड़ा लग जाता है। जिससे जीना दूभर हो गया है।

नगर परिषद न केवल सफाई व्यवस्था में विफल साबित हो रही है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था भी चिंता का विषय बनी हुई है। शहर के किसी भी प्रमुख चौक-चौराहों या पर्यटन स्थलों पर सरकारी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। किसी भी घटना-दुर्घटना की स्थिति में पुलिस को निजी प्रतिष्ठानों के कैमरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

नगरवासियों का कहना है कि राजगीर को पर्यटन के मानकों के अनुरूप विकसित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। स्वच्छता और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना नगर परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह नगर परिषद को जवाबदेह बनाए और राजगीर को स्वच्छ एवं सुरक्षित पर्यटक स्थल बनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए।

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