विभागीय उपेक्षाः जंग खा रही है मोरा तालाब फूटवेयर कलस्टर की मशीनें!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला अवस्थित मोरा तालाब फूटवेयर कलस्टर अपने उच्च गुणवत्ता वाले जूता-चप्पल निर्माण के लिए प्रसिद्ध था। वह लगभग छह वर्षों से बंद पड़ा है। इस कलस्टर की पहचान केवल जिले तक सीमित नहीं थी, बल्कि दूसरे इलाकों में भी इसके उत्पादों की खास मांग थी। लेकिन बिजली बिल न चुकाने के कारण अब यहां तालाबंदी की स्थिति है।

करीब एक करोड़ चार लाख रुपये की लागत से स्थापित की गई अत्याधुनिक मशीनें धूल और जंग से ढकी पड़ी हैं। बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 के अंतर्गत इस फूटवेयर कलस्टर का निर्माण पांच सदस्यीय कारीगर समूहों के लिए किया गया था। भवन निर्माण पर कुल दो करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लेकिन अब यह परियोजना ठप पड़ी है।

मुख्य कारण बिजली का बिल बकाया रहना है। जिसकी वजह से पिछले कई महीनों से बिजली आपूर्ति बंद है। इसके अलावा जिस फूटवेयर स्वावलंबी सहकारी समिति का गठन इस कलस्टर के प्रबंधन के लिए किया गया था। उसे भी भंग कर दिया गया है और अब तक नई समिति का गठन नहीं हो सका है।

कारीगरों का कहना है कि इस कलस्टर की हालत खराब होने का एक और बड़ा कारण यह है कि सरकार और संबंधित विभागों द्वारा जूता-चप्पल के उत्पादों के लिए बाजार नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकारी संस्थाओं जैसे विद्यालय, पुलिस एकेडमी, सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय, कस्तूरबा विद्यालय और अन्य संस्थानों में फूटवेयर के लिए अनुबंध किए जाने की मांग कारीगरों द्वारा की जा रही है। ताकि इस कलस्टर को फिर से जीवित किया जा सके और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें।

वर्तमान में इस परियोजना के बंद होने से न केवल मशीनें बेकार पड़ी हैं, बल्कि इस उद्योग से जुड़े कारीगर भी बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। अगर सरकार इस पर ध्यान दे और कारीगरों की मांगों को पूरा करे तो इस बंद कलस्टर को पुनः चालू करके राज्य के औद्योगिक विकास में एक नई दिशा दी जा सकती है।

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