धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि को विशेष फलदाई माना गया है। उन सभी पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा (इस बार 12 फरवरी, बुधवार) का महत्व कहीं अधिक है। पुराणों के अनुसार, इस दिन विशेष उपाय करने से धन की देवी मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं। और भी कई उपाय इस दिन करने से शुभ फल मिलते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं- माघी पूर्णिमा की रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी की भगवान विष्णु सहित पूजा करें एवं रात को ही घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाएं । इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर उस घर में निवास करती हैं। इस पूर्णिमा की सुबह पास के किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और 11 गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की कृपा भी आपको प्राप्त होगी और अचानक धन लाभ के योग भी बनेंगे। माघी पूर्णिमा की सुबह पूरे विधि-विधान से माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं। विद्या, बुद्धि देने वाली यह देवी इस उपाय से विशेष प्रसन्न होती हैं। पितरों के तर्पण के लिए भी यह दिन उत्तम माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त जलदान, अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र एवं भोजन पदार्थ दान करने से उन्हें तृप्ति होती है। जोड़े सहित ब्राह्मणों को भोजन कराने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है। वैसे तो सभी पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है किंतु माघ मास की पूर्णिमा पर इसका महत्व बढ़कर बताया गया है। शाम को भगवान सत्यनारायण की पूजा कर, धूप, दीप नैवेद्य अर्पण करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें।
माघी पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूते, फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। माघ मास के महत्त्वपूर्ण 3 दिन पूरे माघ मास के पुण्यो की प्राप्ति सिर्फ तीन दिन में ! माघ मास में त्रयोदशी से पूनम तक के तीन दिन (10, 11 और 12 फरवरी 2025) को अत्यंत पुण्यदायी तिथियाँ हैं। माघ मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे माघ मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होती है l सकाम भावना से माघ महीने का स्नान करने वाले को मनोवांछित फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम भाव से कुछ नही चाहिए खाली भागवत प्रसन्नता, भागवत प्राप्ति के लिए माघ का स्नान करता है, तो उसको भगवत प्राप्ति में भी बहुत-बहुत आसानी होती है | ‘पद्म पुराण’ के उत्तर खण्ड में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से होती है। इन तीन दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली और पुण्यदायी है l माघ मास का इतना प्रभाव है की सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं | पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है, खाली ३ दिन | माघ मास प्रात:स्नान सब कुछ देता है | आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है |
अत्यंत फलदाई तिथि है माघी पूर्णिमा-:पं० भरत उपाध्याय
