पार्टी का भविष्य सदाक़त आश्रम में नहीं, बल्कि मैदान में तय होगा: कृष्णा अल्लावरु

पटना, 20 फरवरी (हि.स.)। बिहार कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी मिलने के बाद कृष्णा अल्लावरु गुरुवार को पहली बार पटना पहुंचे। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया।

कांग्रेस प्रभारी ने साफ शब्दों में कहा कि जो कार्यकर्ता मैदान में संघर्ष करता है और खून-पसीना बहाता है, उसे संगठन और टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी।

कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि राहुल गांधी ने भी संगठन की कमियों को दूर करने की बात कही है। उन्होंने बिहार के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे खुलकर मेहनत करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी का भविष्य सदाक़त आश्रम में नहीं, बल्कि मैदान में तय होगा।

कृष्णा अल्लावरु ने कहा किमतभेद हर जगह होते हैं, लेकिन अगर कोई गुटबाजी लक्ष्मण रेखा पार करती है, तो ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। बिहार में हमें हर हाल में जीत हासिल करनी है। कोई भी कितना भी बड़ा बाहुबली क्यों न हो, अकेले चुनाव नहीं जीत सकता। हमें संगठित होकर लड़ना होगा।

कांग्रेस प्रभारी ने घोषणा की कि वे आने वाले हफ्तों में बिहार का दौरा करेंगे और अब पटना में कम, फील्ड में ज्यादा नजर आएंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देते हुए कहा, “लड़ेंगे, जीतेंगे।”कांग्रेस को कांग्रेस ही हरा सकती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हराने की ताकत किसी भी विपक्षी दल में नहीं है, लेकिन अगर कांग्रेस नेता खुद अंदरूनी कलह में उलझे रहे, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि दिल्ली के चक्कर काटना छोड़ दो..पटना को चक्कर काटना छोड़ दो। गांव-गांव, पंचायत, वार्ड में जाओ क्यों कि यहां की तीजोरी की चाबी वही पर है। अब बिहार के गांव, पंचायत, वार्ड में जाएंगे और संघर्ष करेंगे। मैं खुद पूरे बिहार का दौरा करने जा रहा हूं।

कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने अपनी राजनीतिक सफर का जिक्र करते हुए बताया कि उनके परिवार में राजनीति में कोई नहीं था। जब वे राजनीति में आए तो उन्हें दरवाजे-दरवाजे भटकना पड़ा। किसी से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार आगे बढ़ते रहे। उन्होंने बताया कि 2015 में पार्टी ने उन्हें पंजाब में काम करने का निर्देश दिया, जहां उन्होंने गांव-गांव और वार्ड-वार्ड जाकर कार्य किया। नतीजतन, पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद उन्हें गुजरात भेजा गया, जहां उन्होंने दस महीने तक काम किया। हालांकि, वहां थोड़े से मार्जिन से कांग्रेस सरकार बनाने से चूक गई।

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