होली की धूम परवान पर है। हर जगह रंग-गुलाल और पिचकारियों से बाजार गुलजार है। बच्चों संग बुजुर्ग अपनी पसंद की खरीदारी करने में जुटे हैं। होलिका दहन की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। जगह-जगह पर उपले और लकड़ियों का ढेर सज गया है। घरों में पुआ-बड़ी बनाने की तैयारी चल रही है। हर ओर होली की मस्ती का सुरूर छाया हुआ है। होली के दिन देवर-भउजाई की मस्ती की फिराक में रहते हैं। हम इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे कुछ गजब की बातें।

क्या आपको पता है होली पर मस्ती के पीछे की गाथा। अगर नहीं तो पूरी रिपोर्ट पढ़िए। दरअसल, इसका संबंध एक प्रेमकथा से है। एक ऐसी प्रेमकथा जो अधूरी रह गई। यह लव स्टोरी अधूरी रहकर भी इतिहास के पन्नों में अमर हो गई। यह प्रेमकथा होलिका से जुड़ी है। वही होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहन थी। दरअसल, होलिका की मुहब्बत पूरी नहीं हो सकी और वह अधूरी ही रह गई। होलिका ने जिससे प्यार किया, उसके साथ उसकी शादी नहीं हो सकी। इस कसक में प्रेमी भी कुंवारे ही रह गए।

दरअसल, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से प्रेम करने वाले का नाम है इलोजी महाराज। इलोजी महाराज और होलिका शादी के बंधन में बंधने ही वाले थे कि होलिका का आग में जल गयी। होलिका की मौत के बाद इलोजी के साथ उसकी प्रेम कहानी अधूरी रह गई। इसके बाद प्रेमी इलोजी ने भी कभी शादी नहीं की। इस तरह इनकी प्रेम कहानी अमर हो गई। इलोजी एक ग्राम देवता (लोकदेवता) हैं। इनकी प्रतिमाएं पश्चिमी राजस्थान (मुख्यतः मारवाड़) के लगभग हर गांव में पाई जाती हैं। रास्थान में इलोजी महराज की पूजा की जाती है। आम लोग इलोजी महराज को छेड़छाड़ का देवता भी कहते हैं।



