Samastipur News : बिहार की नीतीश सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के बड़े-बड़े दावे करती नहीं थकती। हर मंच से शिक्षा के स्तर को सुधारने की बातें जोर-शोर से कही जाती है। लेकिन, इन दावों की पोल खोलती एक कड़वी सच्चाई बिहार के सुदूर इलाकों में दिखती है। जमीनी हकीकत यह है कि सरकार स्कूलों की बदहाल स्थिति को सुधारने में सरकार बुरी तरह विफल रही है।
समस्तीपुर जिले में कई सरकारी विद्यालयों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वहां बच्चों के लिए छत तक नसीब नहीं है। यह सुनकर किसी का भी मन पीड़ा से भर जाएगा कि हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब मासूम छात्र-छात्राएं खुले आसमान के नीचे, एक बरगद के पेड़ की छांव में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं।
यह हृदयविदारक तस्वीर जिले के विद्यापतिनगर प्रखंड अंतर्गत वाजिदपुर पंचायत के बमौरा गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की है। यहां जमीन पर बैठे बच्चे, हाथों में अपनी किताबें और सिर पर नीला आकाश – यह एक दृश्य ही पर्याप्त है यह बताने के लिए कि इस सरकारी विद्यालय में नौनिहाल किन विषम परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस विद्यालय में बुनियादी संसाधनों का घोर अभाव है। न तो पर्याप्त कमरे हैं, न बैठने के लिए उचित फर्नीचर और न ही अन्य आवश्यक शिक्षण सामग्री। इस अभाव के कारण न केवल छात्रों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी शिक्षण कार्य एक बड़ी चुनौती बन गया है।
बता दें कि इस विद्यालय में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं चलती है। इस विद्यालय में नामांकित 427 छात्रों के लिए महज तीन कमरे ही उपलब्ध है। ऐसे में ज्यादातर कक्षाओं का संचालन एक पेड़ के नीचे किया जाता है। यहां किसी प्रकार पेड़ में ब्लैकबोर्ड टांग कर शिक्षक बच्चों को पढ़ा पढ़ाते हैं। वहीं बरसात के मौसम में इन बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वर्षा होने पर बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है।
विद्यालय प्रधान अभिमन्यु कुमार सिंह बताते हैं कि इस विद्यालय में नामांकित 427 छात्रों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा कुल 11 शिक्षक पदस्थापित हैं, लेकिन वर्ग संचालन के लिए सिर्फ तीन कमरे उपलब्ध हैं। कमरे और संसाधन की कमी से पढ़ाई प्रभावित होती है। जिसके कारण पेड़ के नीचे त्रिपाल बिछा कर बच्चों को बैठाया जाता है।
उन्होंने बताया कि इसको लेकर हमने कई बार जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से नए स्कूल भवन की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
वहीं इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजीत कुमार ने बताया कि विद्यालय के भवन निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं रहने के कारण वर्ग कक्ष का निर्माण नहीं हो सका है। इस वजह से पठन-पाठन तथा शैक्षिक गतिविधियों में होने वाली परेशानियों से पूर्व में भी वरीय पदाधिकारी को अवगत कराया गया है।