ACS सिद्धार्थ ने शिक्षा संबंधी निर्माण कार्यों में किया बड़ा बदलाव, जाने किसे मिला दायित्व

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य में चल रहे शिक्षा संबंधी निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी को पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है। अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र जारी कर सूचित किया है कि अब राज्य में शिक्षा विभाग के सभी विकास कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बीएसईआईडीसी) के माध्यम से ही कराए जाएंगे।

विभागीय समीक्षा में यह पाया गया कि विभिन्न एजेन्सियों द्वारा विकास कार्यों के क्रियान्वयन से जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने मूल कार्य शैक्षणिक अनुश्रवण में पर्याप्त समय नहीं मिल रहा था। साथ ही कई बार एक ही विद्यालय परिसर में कई अलग-अलग एजेन्सियां छोटे-छोटे कार्य कर रही थीं। जिससे एकीकृत विकास संभव नहीं हो पा रहा था।

इस निर्णय के तहत 31 मार्च 2025 तक सभी जिलों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा कर उनका भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद अधूरे रह गए कार्यों को बीएसईआईडीसी को हस्तांतरित किया जाएगा। ताकि वे गुणवत्तापूर्ण रूप से पूरे हो सकें।

नए नियमों के अनुसार 31 मार्च 2025 के बाद सभी प्रकार के असैनिक विकास कार्य केवल बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा किए जाएंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारी अब 50 लाख रुपये तक की योजना ही क्रियान्वित कर सकते थे। लेकिन इस निर्णय के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

वहीं विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अपने स्तर पर अधिकतम 50,000 रुपये तक के मरम्मत कार्य कर सकेंगे। इसके लिए राशि सीधे उनके खाते में स्थानांतरित की जाएगी। 31 मार्च 2025 के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कोई भी निर्माण संबंधी राशि नहीं दी जाएगी। यह सीधे बीएसईआईडीसी को हस्तांतरित होगी।

इससे शिक्षा विभाग अब पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यों पर केंद्रित हो सकेगा। विद्यालयों के बुनियादी ढांचे के विकास में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और समुचित निगरानी संभव होगी। विभिन्न एजेन्सियों के बीच समन्वय की समस्या समाप्त होगी।

बहरहाल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ का यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को अधिक संगठित, पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी अब केवल शैक्षणिक सुधारों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जिससे राज्य के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

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