Samastipur News : बुधवार को धर्मेंद्र का शव गांव में पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उसके दरवाजे पर सैकड़ो ग्रामीण जमा हो गए। ग्रामीणों के अनुसार धर्मेंद्र का व्यवहार इतना अच्छा था कि उसकी मौत ने पूरे गांव के लोगों को झकझोर दिया है। धर्मेंद्र की मौत के बाद पुरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। उसकी मां और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। मां और दादी को क्रंदन से पूरा इलाका गमगीन है। वहां खड़े सभी लोगों की आंखें नम हो गई थी। अब परिवार के समक्ष सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि अब दो छोटे बच्चो समेत उसकी विधवा पत्नी एवं बूढ़ी मां और चाचा की परवरिश कैसे होगी।
ग्रामीणों के अनुसार धर्मेंद्र के पिता चार भाई हैं। इनमें श्रीचरण सिंह, राम भरोस सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह एवं प्रेमचंद सिंह हैं जो अपने अपने परिवार के साथ अलग-अलग घरों में रहते हैं। इनमें बड़े भाई श्रीचरण सिंह की मौत लगभग 25 पहले हो चुकी है, तब धर्मेंद्र सिंह काफी छोटा था। पति की मौत के बाद धर्मेंद्र की मां रामपुरी देवी ने अपने देवर वशिष्ठ नारायण सिंह से विधिवत शादी रचा ली थी। शादी के बाद उसके दो और भाई हुए। इस दौरान बीते कई वर्षों से सभी परिवार मिल जुलकर एक साथ रह रहे थे।
विवाद तब शुरू हुआ जब संपत्ति के बंटवारे की बात आई। धर्मेंद्र के चाचा रामभरोस सिंह व प्रेमचंद्र सिंह यह चाहते थे कि भूमि का बंटवारा चार हिस्से के बजाय तीन हिस्सों में हो। जिसमें एक हिस्से में धर्मेंद्र एवं वशिष्ठ नारायण सिंह की हिस्सेदारी हो और शेष दो खंडों में रामभरोस सिंह और प्रेमचंद्र सिंह को हिस्सा मिले। जबकि धर्मेंद्र का कहना था कि उसे अपने पिता श्री चरण सिंह की हिस्सेदारी मिलना चाहिए। धर्मेंद्र की इस मांग से सौतेले पिता वशिष्ठ नारायण सिंह भी सहमत थे और वे इस बंटवारे की लड़ाई में हमेशा धर्मेंद्र के साथ रहे।
इस बात को लेकर बीते 5 वर्षों से धर्मेंद्र व उसके दो चाचा के परिवारों के बीच विवाद होने लगा। जमीन के बंटवारे को लेकर कई बार मारपीट की घटना भी हुई। जिसमें धर्मेंद्र के चाचा रामभरोस सिंह जेल भी गए। कई बार ग्रामीण स्तर पर बंटवारे को लेकर पंचायत हुई परंतु कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। मंगलवार को इसी जमीन को लेकर चाचा और चचेरे भाइयों ने धर्मेंद्र और उसके सौतेले पिता पर लाठी डंडे और चाकू से हमला कर मार डाला। इस घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी सभी घर से फरार हो गए हैं। इस मामले में मृतक के चाचा रामभरोस सिंह के अलावा उनके तीन बेटों सहित 8 लोगों पर प्रथिमिकी दर्ज करायी गयी है।
धर्मेंद्र की पत्नी के बयान पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि रामभरोस सिंह व प्रेमचंद सिंह के पुत्रों ने धर्मेंद्र व उसके चाचा वशिष्ठ नारायण पर चाकू से भी कई वार किए। इस हमले में धर्मेंद्र व उसके चाचा वशिष्ठ गंभीर रूप से जख्मी हो गए। जिसे इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल, पटोरी में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने दोनों की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल समस्तीपुर रेफर कर दिया। जहां इलाज के क्रम में धर्मेंद्र की मौत हो गयी, वहीं गंभीर हालत में वशिष्ठ नारायण सिंह को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
अपने परिवार का इकलौता कमाऊ पुत्र था धर्मेंद्र :
अल्पायु में धर्मेंद्र की मौत ने परिवार की कमर तोड़ दी है। कमोबेश अपने चाचा वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ खेती-किसानी के अलावा वह परिवार की परवरिश के लिए पटोरी बाजार में अवस्थित फिल्टर वाटर प्लांट में मजदूरी करता था। इसी आय से वह मां रामपरी देवी, चाचा वशिष्ठ नारायण सिंह, पत्नी रूबी कुमारी, 7 वर्षीया पुत्री सोनाली एवं 5 वर्षीय पुत्र आर्यन की परवरिश करता था।
इस मामले में पटोरी के डीएसपी बीके मेधावी ने कहा कि मृतक धर्मेंद्र कुमार की पत्नी रूबी देवी के बयान पर नामजद प्राथमिक दर्ज की गई है। जिसमे मृतक के चाचा राम भरोस के अलावा और सात लोगों को भी नामजद किया गया है, जिसकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है। सभी आरोपी फरार हो गए हैं।