बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और छात्र-छात्राओं को बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने एक अभिनव पहल की शुरुआत की है। अब जिले के प्रत्येक पंचायत भवन में पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं और बच्चों को अध्ययन के लिए एक सुविधाजनक और प्रेरणादायक वातावरण मिल सके। इस योजना के तहत अभी तक चार प्रखंडों की आठ पंचायतों में पुस्तकालयों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इन्हें जल्द ही जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सरकार ने प्रत्येक पुस्तकालय के निर्माण और संचालन हेतु चार लाख रुपये की राशि आवंटित की है। पुस्तकालयों को समृद्ध बनाने के लिए स्थानीय निवासियों से पुरानी पुस्तकों के दान की अपील भी की गई है। इन पुस्तकालयों में विभिन्न विषयों जैसे शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, सरकारी योजनाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, भविष्य में कुछ चयनित पंचायतों में ई-पुस्तकालय और डिजिटल शिक्षण केंद्र भी स्थापित करने की योजना है। ताकि ग्रामीणजन डिजिटल संसाधनों के माध्यम से भी ज्ञान अर्जित कर सकें।
संचालन और प्रबंधनः पुस्तकालयों का संचालन एक निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार होगा, ताकि छात्रों और ग्रामीणों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इनका प्रबंधन ग्राम पंचायत सचिव, स्थानीय शिक्षक, या युवा समूहों के जिम्मे होगा। यह व्यवस्था न केवल शैक्षिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि पंचायत स्तर पर सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करेगी।
उपलब्ध संसाधनः पंचायत राज विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार पुस्तकालयों के लिए पुस्तकों का चयन सावधानीपूर्वक किया जाएगा। इसमें 50% पुस्तकें बिहार के प्रसिद्ध लेखकों द्वारा लिखी गई होंगी। 40% देश के अन्य प्रतिष्ठित लेखकों की और शेष 10% अन्य भाषाओं के लेखकों की रचनाएं होंगी। इसके अतिरिक्त विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी। प्रत्येक पुस्तकालय में अधिकतम दो अखबार और महिला सशक्तिकरण, बाल विकास एवं ग्रामीण विकास से जुड़ी मासिक पत्रिकाएं भी रखी जाएंगी।
योजना का उद्देश्यः इस पहल का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को सरकारी योजनाओं एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं से जोड़ना है। यह योजना ग्रामीण युवाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने में मदद करेगी। अधिकारियों का मानना है कि ये पुस्तकालय न केवल ज्ञान का केंद्र बनेंगे, बल्कि सामुदायिक एकता और जागरूकता के प्रतीक के रूप में भी उभरेंगे।
वित्तीय सहायता और गाइडलाइनः पंचायत राज विभाग ने बताया कि इस योजना के लिए 15वीं वित्त आयोग से प्राप्त राशि के साथ-साथ बिहार सरकार भी अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करा रही है। पुस्तकालय संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें पुस्तकों की सूची और खरीद प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।
बहरहाल, यह योजना नालंदा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। ग्रामीण छात्र-छात्राओं के लिए यह नया अवसर न केवल उनके शैक्षिक भविष्य को उज्जवल बनाएगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव भी रखेगा।
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